भारत के संविधान के भाग,अनुच्छेद एवं प्रावधान
संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई और 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ । भारतीय संविधान में 395, अनुच्छेद 22 भागों में विभाजित हैं। संविधान के ये 22 भाग अलग-अलग विषयों के सम्बन्ध में व्यवस्था करते हैं। इसके अतिरिक्त मूल संविधान में 8 अनुसूचियां थीं, संवैधानिक संशोधनों के कारण आज अनुसूचियों की संख्या 12 हो गई है। संविधान भारत के संविधान के भाग,अनुच्छेद एवं प्रावधान का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
भाग | अनुच्छेद | प्रावधान |
---|---|---|
भाग 1 | अनुच्छेद 1 से 4 | संघ और उसका राज्य क्षेत्र, नए राज्य का निर्माण |
भाग 2 | अनुच्छेद 5 से 11 | नागरिकता |
भाग 3 | अनुच्छेद 12 से 35 | मौलिक अधिकार |
भाग 4 | अनुच्छेद 36 से 51 | राज्य के नीति निर्देशक तत्व |
भाग 4ए | अनुच्छेद 51 ए | मौलिक कर्त्तव्य |
भाग 5 | अनुच्छेद 52 से 151 | संघ सरकार |
भाग 6 | अनुच्छेद 152 से 237 | राज्य सरकार से सम्बंधित |
भाग 7 | अनुच्छेद 238 | 7 वें संशोधन द्वारा संविधान से हटा दिया गया है। |
भाग 8 | अनुच्छेद 239 से 242 | केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन |
भाग 9 | अनुच्छेद 243 से 243ओ | पंचायते |
भाग 9 | अनुच्छेद 243पी (P) से 243 जेडजी (ZG) | नगरीय निकाय |
भाग 18 | अनुच्छेद 352 से 360 | आपात उपबंध |
भाग 20 | अनुच्छेद 368 | संविधान संशोधन |
भाग 22 | अनुच्छेद 393 से 395 | संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और निरसन हिंदी में प्राधिकृत पाठ। |
विभिन्न भाग और महत्वपूर्ण अनुच्छेद संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र
भाग 1- इसमें अनुच्छेद 1 से 4 सम्मिलित है, जिनमें संघ नाम और राज्य क्षेत्र, नये राज्यों का प्रवेश या स्थापना, नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों सीमाओं या नामों में परिवर्तन के सम्बन्ध में प्रवाधान किया गया है।
नागरिकता
भाग 2:-इसमें अनुच्छेद 5 से 11 सम्मिलित है जिनमें भारत की नागरिकता के सम्बन्ध में प्रावधान है। इसमें पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्त्यिों के नागरिकता के अधिकार, विदेश राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना, नागरिकता के अधिकारों का बना रहना एवं नागरिकता के अधिकार को विधि द्वारा विनियमित करने की संसद की शक्ति का उल्लेख किया गया है।
मौलिक अधिकार
भाग-3:-अनुच्छेद 12 से 35 सम्मिलित है जिनमें मूल अधिकारों के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। इसमें अनुच्छेद 14 से 18 तक में समानता का अधिकार तथा अनुच्छेद 19 से 22 तक में स्वतन्त्रता के अधिकार के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 23 से 24 में शोषण के विरूद्ध अधिकार, अनुच्छेद 25 से 28 में धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार तथा अनुच्छेद 29 से 30 में संस्कृति एवं शिक्षा से सम्बन्धित अधिकार के सम्बन्ध में प्रावधान है। अनुच्छेद 32 से 35 में नागरिकों को प्रदत्त संवैधानिक उपचारों के अधिकार तथा कुछ वर्गों (सैनिक, अर्धसैनिक बल) और परिस्थितियों में मौलिक अधिकार के लागू न होने का प्रावधान किया गया है।
राज्य के नीति निदेशक तत्व
भाग 4:-इसमें अनुच्छेद 36 से 51 सम्मिलित है। जिनमें राज्य की नीति के निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। इनका प्रमुख उद्देश्य भारत में सामाजिक एवं आर्थिक लोकतन्त्र की स्थापना है।
मौलिक कर्तव्य –
भाग 4 क:-इसमें केवल अनुच्छेद 51 क को सम्मिलित किया गया है जिसमें नागरिकों के मूल कर्तव्यों का उल्लेख है। यह भाग 42वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में शामिल किया गया।
स्ंघ की शासन व्यवस्था (राष्ट्रपति, मन्त्रिपरिषद, संसद और सर्वोच्च न्यायालय आदि)
भाग 5:-इस भाग में अनुच्छेद 52 से 151 तक शामिल है। भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति की योग्यता, निर्वाचन, पदावधि, शपथ, आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 74 से 75 में राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए मन्त्रिपरिषद, अनुच्छेद 76 में भारत के महान्यायवादी तथा अनुच्छेद 77 से 78 में भारत सरकार के कार्य संचालन तथा राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमन्त्री के कर्तव्य के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 79 से 106 में भारतीय संसद के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया जबकि अनुच्छेद 107 से 122 तक में संसद की विधायी प्रक्रिया तथा वित्तीय विषयों से सम्बन्धित प्रक्रिया का उल्लेख मिलता है। अनुच्छेद 123 में संसद के विश्रांतिकाल में अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति, अनुच्छेद 124 से 147 में संघ कीन्यायपालिका के सम्बन्ध में प्रावधान तथा अनुच्छेद 148 से 151 में भारत के नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
राज्यों का शासन
भाग 6-इस भाग में अनुच्छेद 152 से 237 तक सम्मिलित है जिनमें राज्यों कीकार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका से सम्बन्धित प्रावधान समाविष्ट हैं। अनुच्छेद 152 द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को राज्यों के सामान्य संवर्ग से पृथक् कर दिया गया है। अनुच्छेद 153 से 162 राज्यपाल से सम्बन्धित है जबकि अनुच्छेद 163 से 164 में राज्य के मुख्यमन्त्री एवं मन्त्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों के सम्बन्ध में प्रावधान है। अनुच्छेद 165 में राज्य के महाधिवक्ता, अनुच्छेद 166-167 में राज्य की सरकार के कार्य संचालन एवं राज्यपाल को जानकारी देने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य का उल्लेख है। अनुच्छेद 168 से 195 में राज्य विधानमण्डल के गठन, राज्य विधानमण्डल के अधिकारी, कार्य संचालन, विधानमण्डल के सदस्यों की निरर्हताएं, (अयोग्यताएं) राज्यों के विधामण्डलों और उनके सदस्यों की शक्तियों, विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियों से सम्बन्धित प्रावधान शामिल हैं।
अनुच्छेद 196-212 में विधानमण्डल की विधायी तथा वित्तीय प्रक्रिया के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है। अनुच्छेद 213 राज्यपाल की विधायी शक्ति से सम्बन्धित है। जबकि अनुच्छेद 214-231 में राज्यों के उच्च नयायालय के संगठन एवं शक्तियों के सम्बन्ध में प्रावधान है।
अनुच्छेद 233 से 237 में अधीनस्थ न्यायालयों के सम्बन्ध में प्रावधान है।
पहली अनुसूची के भाग ’ख’ के राज्य
भाग 7- इसमें अनुच्छेद 238 शामिल था, जो प्रथम अनुसूची के भाग (ख) में के राज्यों के सम्बन्ध में प्रावधान करता था। इस अनुच्छेद को 7वें संविधान संशोधन 1956 द्वारा निकाल दिया गया।
संघ राज्य क्षेत्र
भाग 8-इसमें 239 से 241 सम्मिलित है जो संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन के सम्बन्ध में प्रावधान करता है।
नगरपालिकाएं
भाग 9क:-इसमें अनुच्छेद ’243त8 से ’243यछ’ तक शामिल है जिनमें नगरपालिकाओं के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र
भाग 10:-इसमें अनुच्छेद 244 तथा ’244क’ शामिल किया गया है। इसमें अनुसूचित क्षेत्रों तथा जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बन्धित प्रावधान है।
संघ एवं राज्यों के बीच सम्बन्ध
भाग 11:-इसमें अनुच्छेद 245 से 263 शामिल है। इनमें संघ और राज्यों के बीच सम्बन्धों का उल्लेख है। अनुच्छेद 245 से 255 विधायी शक्तियों के वितरण से सम्बन्धित है जबकि अनुच्छेद 256 से 263 में संघ तथा राज्यों के मध्य प्रशासनिक सम्बन्धों, जल सम्बन्धी विवाद, राज्यों के बीच समन्वय से सम्बन्धित प्रावधान है।
वित, सम्पत्ति, संविदाएं और वाद
भाग 12:-इसमें अनुच्छेद 264 से ’300क’ तक शामिल है। इनमें वित, (264 से 267), संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (268-281), प्रकीर्ण वित्तीय उपबन्ध, (282 से 290 क) उधार लेना (292 से 293) सम्पत्ति, संविदाएं अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (294 से 300) एवं सम्पत्ति के अधिकार (300क) से सम्बन्धित प्रावधान है।
भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार वाणिज्य और समागम
भाग 13:-इसमें अनुच्छेद 301 से 307 शामिल है जिनमें भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से सम्बन्धित प्रावधान है।
संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं
भाग 14:-इसमें अनुच्छेद 308 से 323 शामिल है जिनमें संघ एवं राज्यों के अधीन सेवाएं (308 से 313) एवं संघ एवं राज्यों के लोक सेवा आयोग से सम्बन्धित (315 से 323) प्रावधान है।
अधिकरण (Tribunals)
भाग 14क:-इसमें अनुच्छेद 323 क से 323ख शामिल है। इनमें प्रशासनिक अधिकरण तथा अधिकरणों के सम्बन्ध में प्रावधान है। इस भाग को 42वें संविधान द्वारा 1976 में संविधान में सम्मिलित किया गया।
निर्वाचन (Election)
भाग 15:-इसमें अनुच्छेद 324 से 329 सम्मिलित
है जिनमें निर्वाचन आयोग एवं निर्वाचन से सम्बन्धित अन्य प्रावधानों का उल्लेख है।
कुछ वर्गों के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध
भाग 16:-इसमें अनुच्छेद 330-342 सम्मिलित है। जिनमें लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण, लोकसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व, राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग, पिछड़ा वर्ग, आदि के सम्बन्ध में प्रावधान है।
राजभाषा
भाग 17:-इसमें अनुच्छेद 343 से 351 सम्मिलित है। इनमें राजभाषा से सम्बन्धित प्रावधान है।
आपात उपबन्ध:-
भाग 18:-इसमें अनुच्छेद 352 से 360 सम्मिलित है जिनमें आपात उपबन्धों का उल्लेख किया गया है।
प्रकीर्ण (Miscellaneous)
भाग 19:-इसमें अनुच्छेद 361 से 367 शामिल है जिनमें राष्ट्रपति, राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण, संसद और राज्य विधानमण्डलों की कार्यवाहियों के प्रकाशन का संरक्षण आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
संविधान का संशोधन
भाग 20:-इसमें अनुच्छेद 368 में संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध
भाग 21:-इसमें अनुच्छेद 369 से 392 शामिल है। इनमें अस्थायी, संक्रमणकालीन तथा कुछ राज्यों के लिए विशेष उपबन्धों का उल्लेख किया गया है।
संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन (Repeals)
भाग 22:-इसमें अनुच्छेद 393 से 395 शामिल है जिनमें संविधान का संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ हिन्दी में प्राधिकृत पाठ, आदि के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
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