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भारत का मिशन चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2

Mission Chandrayaan-1 and Chandrayaan-2

भारत का मिशन चंद्रयान -1 और चंद्रयान -2(Mission Chandrayaan-1 and Chandrayaan-2 in India)

चंद्रयान मिशन-1 के बारे में जानकारी: (Information about Chandrayaan Mission -1)

भारत सरकार ने नवंबर 2003 में पहली बार भारतीय मून मिशन के लिये इसरो के प्रस्ताव चंद्रयान -1 को मंज़ूरी दी। इसके करीब 5 साल बाद 22 अक्तूबर 2008 को PSLV C-11 से सफलतापूर्वक विमोचित किया गया था।

चंद्रयान-1 को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, यानी PSLV-C 11 रॉकेट के ज़रिये सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया।चंद्रयान-1 पाँच दिन बाद 27 अक्तूबर, 2008 को चंद्रमा के पास पहुँचा था। वहाँ पहले तो उसने चंद्रमा से 1000 किलोमीटर दूर रहकर एक वृत्ताकार कक्षा में उसकी परिक्रमा की। तत्पश्चात वह चंद्रमा के और नज़दीक गया और 12 नवंबर, 2008 से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर से हर 2 घंटे में चंद्रमा की परिक्रमा पूरी करने लगा।

इस अंतरिक्ष यान में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में बने 11 वैज्ञानिक उपकरणों को भी लगाया गया था। इस अंतरिक्ष यान का वज़न 1380 किलोग्राम था। यह अंतरिक्षयान चंद्रमा के रासायनिक, खनिज और प्रकाश-भौमिकी मानचित्रण के लिये चंद्रमा की परिक्रमा करता है।

चंद्रयान-1 का उद्देश्य

चंद्रमा के चारों ओर की कक्षा में मानव रहित अंतरिक्ष यान स्थापित करना चंद्रमा की सतह के खनिज और रसायनों का मानचित्रण करना। चंद्रयान-1 पृथ्वी की कक्षा से परे भारत का पहला अंतरिक्ष यान मिशन था। इसका मकसद पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के बारे में अपने ज्ञान का विस्तार करना था।

चंद्रयान-1 का विवरण:

मिशन का नाम चंद्रयान-1
संचालक /निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
लॉन्च वजन 1,380 किलोग्राम (3,040 पौंड)
मिशन का प्रकार सुदूर संवेदन, ग्रहीय विज्ञान
कहाँ से प्रक्षेपित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र ,श्रीहरिकोटा
प्रक्षेपण तिथि 22 अक्तूबर, 2008
रॉकेट PSLV C11 (पीएसएलवी-सी11)

चंद्रयान मिशन -2 के बारे में जानकारी: (Information about Chandrayaan Mission-2)

चंद्रयान -1 के बाद भारत का दूसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)द्वारा विकसित इस मिशन को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (जीएसएलवी मार्क 3)  से सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया और इस अभियान को  द्वितीय चन्द्रयान के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रयान-2 के तहत इसरो पहली बार चंद्रमा में ऑर्बिटर, रोवर और लून लैंडर भेजेगा। ऑर्बिटर जहाँ चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा, वहीं लैंडर चंद्रमा के एक निर्दिष्ट स्थान पर उतरकर रोवर को तैनात करेगा।

इस अभियान से नई तकनीकों के इस्तेमाल और परीक्षण के साथ-साथ नए प्रयोगों को भी बढ़ावा मिलेगा।

चंद्रयान-2 का उद्देश्य

इस यान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के मौलिक अध्ययन (Elemental Study) के साथ-साथ वहाँ पाए जाने वाले खनिजों का भी अध्ययन (Mineralogical Study) करना है।

मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्त्वों का अध्ययन कर यह पता लगाना कि उसके चट्टान और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी है। वहाँ मौजूद खाइयों और चोटियों की संरचना का अध्ययन। चंद्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तन का अध्ययन। ध्रुवों के पास की तापीय गुणों, चंद्रमा के आयनोंस्फीयर में इलेक्ट्रानों की मात्रा का अध्ययन। चंद्रमा की सतह पर जल, हाइड्रॉक्सिल के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की त्रिआयामी तस्वीरें लेना।

चंद्रयान-2 का विवरण:

मिशन का नाम चंद्रयान-2
संचालक/ निर्माता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
लॉन्च वजन 3,877 कि॰ग्राम (8,547 पौंड)
मिशन का प्रकार लूनर ऑर्बिटर, लैंडर ( विक्रम )और रोवर ( प्रज्ञान )
कहाँ से प्रक्षेपित श्रीहरिकोटा के भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3
प्रक्षेपण तिथि 22 जुलाई 2019
रॉकेट GSLV Mark-III (बाहुबली )

भारत के मिशन चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य: (Important facts related to Chandrayaan-1 and Chandrayaan-2)

  • चंद्रयान-1 चाँद के ऊपर सिर्फ ऑर्बिट करता था लेकिन चंद्रयान-2 में एक पार्ट चाँद पर लैंड करेगा। उसके बाद एक रिमोट कार की तरह चाँद में इधर उधर घूमेगा।
  • इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया
  • चंद्रयान -2 मिशन का ऑर्बिटर 100 किमी (62 मील) की ऊँचाई पर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। ऑर्बिटर पांच वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाता है। उनमें से तीन नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान -1 पर प्रवाहित किए गए संस्करण हैं।
  • चंद्रयान -2 मिशन के लैंडर को विक्रम लैंडर कहा जाता है, और यह नाम विक्रम साराभाई के नाम पर, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
  • चंद्रयान -2 में स्थित रोवर को प्रज्ञान भी कहा जाता है और इसका द्रव्यमान लगभग 27 किलोग्राम है
  • चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्र की सतह को मैप करेगा और इसके 3 डी मैप तैयार करने में मदद करेगा।
  • चंद्रयान1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 किलोग्राम था जबकि चंद्रयान2 का भार 3850 किलोग्राम है होगा। यह चंद्रयान-1 मिशन (1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है।

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